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हिंदी का डंकाःः

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख देश-प्रेम Hindi 88297 0 Hindi :: हिंदी

हिंदी का डंकाःः
यह तथ्य सौ फीसदी सत्य है कि गैरहिंदीभाषी राज्यों व विदेशों में हिंदी का डंका कोई बजाया है, तो वह है हिंदी सिनेमा! जिसे हम बालीवुड के नाम से भी जानते हैं। 
विदेशों में खासकर सोवियत संघ (अब रूस) में राजकपूर की फिल्मों को देखने की जो दिवानगी थी, वह किसी अन्य निर्माता-अभिनेता की नहीं दिखाई देती है। 
उनकी आवारा, श्री 420, मेरा नाम जोकर वहां के सिनेमाधरों में हाउसफुल चला करते थे। इसे भारतवंशी सहित रूसी लोग भी चाव से देखा करते थे। कारण कि इन फिल्मों में जीजीविषा का जो अमर संदेश था, वह अन्यत्र नहीं मिला करता।
	इसी तरह मिश्र की राजधानी काहिरा, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, ब्रिटेन में अमिताभ बच्चन, शाहरूख खान, सलमान खान का बड़ा क्रेज है। उनकी फिल्में वहां हाउसफुल चला करती हैं। 
लोग हिंदी गाने गाते और गुनगुनाते हैं तथा एक दूसरे को हिंदी फिल्म देखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। बजरंगी भाईजान तो पाकिस्तान में रिकार्डतोड़ चली और सराही भी गई।
	बौद्ध धर्म के कारण जापान भारत को जानने-समझने की चाहत सदियों से रखता है। वहां 1908 में टोक्यो विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा का अध्ययन-अध्यापन प्रारंभ हो गया था। 
साहित्य के नोबल विजेता गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर वहां अनेक मर्तबा गए थे। परिणामस्वरूप, वहां हिंदी की लोकप्रियता इतनी बढ़ती गई कि जिसको भुनाने के लिए वहां फिल्में दिखाकर हिंदी सिखाई गई। 
एक था टाइगर, धूम 2, थ्री इडियट व इंग्लिश-विंग्लिश वहां खूब पसंद की गई।
	यही हाल दक्षिण अफ्रीका में है। वहां के हिंदीप्रेमी मनोरंजन के लिए हिंदी फिल्में ही देखते हैं। 
सच्चाई तो यह कि डिजिटल क्रांति के बाद सारी दुनिया में हिंदी फिल्में तेजी से दस्तक देने लगी हैं और हिंदी को विश्वभाषा के रूप में प्रस्तुत कर रही हैं।
	हाल ही में रिलीज और विवादित फिल्म पीके विदेशों में 300 करोड़ का कारोबार करके सबसे कमाऊ फिल्म बन गई है। 
यही नहीं, हिंदी फिल्म दंगल को चीन में खूब पसंद किया गया। चीनी लोग दंगल देखने के लिए टूट पड़ते थे।
	यही हाल गैरहिंदीभाषी राज्यों का रहा है। फिर चाहे, तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र व तेलंगाना ही क्यों न हो? इन राज्यों में हिंदी का डंका बजाने का श्रेय हिंदी फिल्मों को ही जाता है। 
एक समय ऐसा भी था, जब दक्षिण भारतीय दर्शक अमिताभ बच्चन की फिल्मों के दीवाने हुआ करते थे।
	हिंदी फिल्मों ने गैरहिंदीभाषी कैटरीना कैफ, सारा अली खान, हेमामालिनी, वैजयंती माला, जयाप्रदा, श्रीदेवी, रानी मुखर्जी जैसी प्रमुख अभिनेत्रियों को मुकाम दिया, वहीं रजनीकांत, सुभाष आदि प्रमुख अभिनेताओं के अभिनय को खूब प्रश्रय मिला।
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायतः एक प्राथमिक पाठशाला  veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।
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