Poonam Mishra 30 Mar 2023 गीत समाजिक सागर में मिलने की तमन्ना नहीं है मैं एक बहती नदी हूं 21062 0 Hindi :: हिंदी
आज मैं हूं कल रहूं ना रहूं क्या मेरा भी कुछ पता रह जाएगा बुन रही हूं कुछ सपने भविष्य की शायद इसके कुछ निशा रह जाएगा अपने शब्दों से अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रही हूं शायद मेरी भावनाओं को कोई समझ पाएगा मैं एक बहती नदी हूं मगर सागर मेरा मंजिल नहीं है अगर मैं भी सागर में मिल गई तो मेरा अस्तित्व क्या रह जाएगा स्वरचित लेखिका पूनम मिश्रा