नवीनतम हास्य-व्यंग रचनाएँ
शायरी
अभिषेक मिश्रा
शहर की आबोहवा में ,कुछ इस कदर परिवर्तन होने लगे हैं हुजूर !
खंडहर भी बयां करने लगे हैं, कि इमारत भी क्या शानदार थी।।
37682
ढोंग
SANTOSH KUMAR BARGORIA
ढोंग बड़े मुझ ढोंगी में,
स्वयं कर मैं देवी पूजा ।
और विरोध उनका मैं करता,
जो करते मूर्तिपूजा ।।
कलश स्थापना मैं घर
32089
भोपाल
राहुल गर्ग
मुझे याद है मुझे याद है
वो भोपाल का जमाना
किराए का घर लेना
और किराया देर से देना
बहाना तंगी का बताना
और पैसे ट्रीट
28650
आधुनिक लड़की
राहुल गर्ग
मेरे लिए वो हीरे सी अनमोल होती है
कंधे पर सर रखकर सारे राज खोल देती है
कोशिशें जब भी मै प्यार-ए-इजहार की करता हूँ
सा
28664
नर पर भारी नारी
Karan Singh
*नर पर भारी नारी*
अक्ल बाटने लगे विधाता,
लंबी लगी कतारी।
सभी आदमी खड़े हुए थे,
कहीं नहीं थी नारी।।
सभी न
18176
संसद
Mohan pathak
संसद।
अध्यापक ने कक्ष| में
घुसते ही पूछा,
डू यू नो व्हाट इज पार्लियामेंट।
18158
अतीत के झरोखे से
Mohan pathak
गतांक से आगे--- - (अतीत के झरोखे से तीसरा भाग)
गत अंकों में आपने पढ़ा पुराने पत्र लेखन की विधा और मित्रो का
20491
अतीत के झरोखे से
Mohan pathak
गतांक से आगे------------
अतीत के झरोखे से( दूसरा भाग) आपने हमारे इस धारावाहिक लेख के पिछले अंक में पढ़ा। किता
20491