नवीनतम हास्य-व्यंग रचनाएँ
घमंड
Shamma parween
डाल को घमंड हो गया की पक्षी मूझ पे बैठी है
पागल को कोई कहो कि वह भी शाखा से जुड़ी है
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दासता हमारी
धर्मपाल सावनेर
कितने हसीन पल थे जब हम तुम मिले थे
वो राते वो बाते वो वो लम्हे वो मुलाकाते।।
ना तुम्हे नींद अति थी ना हमे चेन आए
एक द
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गज़ल
Sanam kumari
हमने ताजो तख्त को पलटते देखा है।
और पत्थर को खुदा बनते देखा है।
जीत मेरी तकदीर की मोहताज नहीं
हमने समंदर को बारिश ब
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स्कूल का सफर।
Neha bansla
स्कूल में शिक्षक ने खूब हमे सिखाया और उस A से Z तक के सफर ने खूब हमे रुलाया......LKG तक तितलियां उड़ने लगी थी अंबर और first class तक
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