Jyoti yadav 06 Jul 2023 कविताएँ समाजिक #तेरे गोद में सोना चाहती हूं मां # 5482 0 Hindi :: हिंदी
बस बहुत हो गया भागम भाग अब कुछ देर ठहरना चाहती हूं थक चुकी हूं मां अब तेरे गोद में सोना चाहती हूं मां मुझे कहीं छुपा ले हो सके तो जमाने से चुरा ले मैं तुझमें खोना चाहती हूं मां तेरे गोद में सोना चाहती हूं मां फिर से वही लोरी सुनने को दिल करता है मां जो तुम मुझे बचपन में सुनाती थी तेरी लोरी सुनना चाहती हूं मां तेरे गोद में सोना चाहती हूं मां हर रोज ग़म छुपाती हूं चुरा कर दर्द मुस्कुराती हूं आज जी भरके रोना चाहती हूं मां तेरे गोद में सोना चाहती हूं मां बहुत ओढ़ लिया नक़ाब चेहरे के इस नक़ाब को अब उतारना चाहती हूं मां तेरे गोद में सोना चाहती हूं मां