मारूफ आलम 30 Mar 2023 ग़ज़ल अन्य #kalandar shayari#maroof shayar#gajal#dard bhari gajal 44442 0 Hindi :: हिंदी
गरीब था फकीर था कलन्दर था वो जो भी था दिल का सिकंदर था वो न नदी था न पोखर था न दरिया था दूर तलक़ फैला हुआ समंदर था वो कहीं भी मुकाम मुकर्रर न था उसका ना बाहर था ना दिल मे अंदर था वो फिर क्यों उसके आने से सन्नाटा था ना तूफान था ना कोई बवंडर था वो ना फरिश्ता था ना शैतान था"आलम" कुछ नही था फकत आडम्बर था वो मारूफ़ आलम