विक्की आरती मोकर्री 19 Aug 2023 कविताएँ समाजिक 5649 0 Hindi :: हिंदी
देखो देखो झोपड़ी की बेटी तालाब में मछली मार रही है। देखो देखो महलों की परी खिड़की से निहार रही है दोनों अपने-अपने में खूब मगन है एक मछली मारने में एक निहारने में। एक खिड़की पर लट झार रही है दूसरे तालाब में लट धो रही है आओ रानी आओ तलाब से चंपा बोलती है लगाओ डुबकी लगाओ खिड़की से चमेली कहेती है आओ आओ देखो प्रिय ये दृश्य कैसा है एक चंपा एक चमेली, दोनों में स्नेह कितना गहरा है चंपा तालाब से निकाल के आती है चमेली महलों से उतर के आती समतल खेतों में दोनों डेरा थोड़ी बनती है दोनों मार के पत्थर तालाब में बाते खूब करती हैं तेरा मेरा स्नेह अमर नही हो पाएगा तुम रहती हो महलों में मैं झोपरी में रहती हूं मेरे मन को तू भाती है तेरे मन को मैं भाती हूं तो फिर हम दोनो के बीच में ये महल झोपड़ी कहां से आती है चलो चलो महलो झोपड़ी के फसलों को दूर करते हैं हम भागते हैं इस जहां को छोड़कर अपने दोस्ती को अमर करते हैं