Ujjwal Kumar 23 Jul 2023 शायरी समाजिक 6782 0 Hindi :: हिंदी
"सूरज हर शाम को ढल ही जाता है, पतझड़ बसंत में बदल ही जाता है, मेरे मन मुसीबत में हिम्मत मत हारना, समय कैसा भी हो गुज़र ही जाता है" ✍उज्जवल कुमार
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