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शेरनी - पूँछा घरवाली ने जो मैं बहुत देर से आया

आकाश अगम 30 Mar 2023 कविताएँ हास्य-व्यंग #व्यंग्य #हास्य #hasya vyangy #आकाश अगम #Akash Agam 47350 0 Hindi :: हिंदी

पूँछा घरवाली ने जो मैं बहुत देर से आया
मुझे बताओ समय अधिक यह तुमने कहाँ लगाया
मेरे मन में अगले पल एक ख़याल उभर आया 
जल्दी जल्दी मैंने उसको सारा हाल सुनाया
मैंने कहा सुबह मैं घर से निकला आगे पहुँचा
एक भयानक चहरा मुझको बिना बताके पहुँचा
वह था शेर, लगा डर, फिरन लगे हम भागे भागे
शेर पिछाई पकड़े, वो पीछे हम आगे आगे
मैंने पूँछा भैया तेरी कौन दुश्मनी मुझसे
और लगा वह कहने मेरी नहीं दुश्मनी तुझसे
मैंने पूँछा फिर क्यों मुझको इतना दौड़ाए हो
उसने कहा बिना पूँछे तुम यहाँ काहे आये हो
मैंने कहा अरे भैया यह रस्ता नहीं तुम्हारा
तुम तो यहाँ पर नए नए, यह घर भी बना हमारा
वह बोला, अब तक था तेरा लेकिन अब मेरा है
तुझको, तेरे घर को मेरी नज़रों ने घेरा है
मैं जैसा कहता हूँ अब तुम बिल्कुल वैसा करना
अपनी राय कभी भी मेरे आगे तुम मत धरना
मैंने कहा नहीं अब बिल्कुल अपनी राय धरेंगे
जैसा तुम कहते हो अब हम केवल वही करेंगे
पूँछा घरवाली ने इसमें बात नई सी क्या है
ये बेअर्थ कहानी , मेरा दिल अब बहुत ख़फ़ा है
मैंने कहा अरे जानेमन बात सुनो तो मेरी
एक बात शेर ने बताई तनिक करी ना देरी
उसने कहा नहीं तुम डरना तुममें बहुत वीरता
एक डेंजर तेरे घर में फ़र्क तो सिर्फ़ लिंग का
मैं हूँ शेर, मेरा तू केवल कुछ पल का ही चेला
एक शेरनी तेरे घर में तूने कितना झेला।।

          

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