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प्रदूषण की मारकता

virendra kumar dewangan 30 Mar 2023 आलेख दुःखद Pollution 87281 0 Hindi :: हिंदी

					
	यह बात सबको संजीदगी से समझने की आवश्यकता है कि गरीबी, महंगाई, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जनसंख्या आदि समस्याओं की तरह ही गंभीर समस्या है प्रदूषण, जिसकी मारकता से दिल्ली, यूपी, पंजाब, हरियाणा की भांति देश के तमाम राज्य कराह रहे हैं।
	तिसपर तुर्रा यह कि छोटी-छोटी बातों पर ओछी राजनीति करनेवाले विपक्षी नेताओं के पास चुनाव, राजनीतिक गोटियां फिट करने और सरकार की बात-बात पर आलोचना करने के अलावा कोई उपाय नहीं है। 
जबकि होना यह चाहिए कि वे प्रदूषण को वैसे ही संजीदा समस्या समझते, जैसे महंगाई के लिए बंद, घरना-घेराव या आंदोलन को समर्थन देना अपने राजनीतिक एजेंडे में शुमार करते हैं।
	दिल्ली में तो एयर क्वालिटी इंडेक्स का खतरनाक स्तर 500 कब के पार कर चुका है और लोग दमा, अस्थमा, ब्रांेकाइटिस, चर्मरोग, फेफड़े के रोग, कैंसर इत्यादिक से तड़फड़ा रहे हैं।
दिल्ली ही नहीं, आज देश का ऐसा कोई महानगर नहीं है, जो प्रदूषण की भयावहता को न झेल रहा हो। सब दूर एक-सी स्थिति और नीयती है। 
यही नहीं, देश के अन्य नगर व शहर भी किसी-न-किसी रूप में या तो वायु प्रदूषण से हलाकान हैं या फिर जल प्रदूषण से। लेकिन, सरकारें व स्थानीय निकायें हैं कि इसकी गंभीरता को न समझकर इसका ठिकरा एक-दूसरे पर फोड़ने पर आमादा हैं। 
न उनके पास समाधानकारक कोई योजना है, न इच्छाशक्ति कि वे प्रदूषण को प्राथमिकता में रखें और उसका सालभर निराकरण करने की योजनाएं न केवल बनाएं, अपितु उसका निवारण भी करें। 
इसमें भी किया यह जाता है कि जब समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है, शीर्ष अदालत फटकारें लगाती है, तब सरकारों के कानों में जूं रेंगना आरंभ होती है और सरकारें दो चार फौरी निवारण के शिगुफे छोड़ दिया करती है। कभी आड-ईवन की बात की जाती है, तो कभी स्कूल-कालेज बंद कर दिया जाता है या फिर वर्क फ्राम होम का आदेश निकाल दिया जाता है। 
जबकि यहां उद्योगों की चिमनियों से निकलनेवाले दूषित पवन और नदी-नालों में बहाए जानेवाले औद्योगिक कचरे को रोकने की दरकार है। साथ ही, पराली न जलाए जाने के लिए किसानों को समझाइश या सहायता देने की शख्त आवश्यकता है। लेकिन, यह सब नहीं किया जाता, केवल एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप मढ़ने का काम किया जाता है।
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अनुरोध है कि लेखक के द्वारा वृहद पाकेट नावेल ‘पंचायत’ लिखा जा रहा है, जिसको गूगल क्रोम, प्ले स्टोर के माध्यम से writer.pocketnovel.com पर  ‘‘पंचायत, veerendra kumar dewangan से सर्च कर और पाकेट नावेल के चेप्टरों को प्रतिदिन पढ़कर उपन्यास का आनंद उठाया जा सकता है तथा लाईक, कमेंट व शेयर किया जा सकता है। आपकी प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा रहेगी।

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