Bhagyashree Singh 11 Jan 2024 कविताएँ समाजिक #Woman's day special.#Like#Share 8300 0 Hindi :: हिंदी
हे नारी तुम कलयुग में भी धर्म पग पर चलती जाओ, कर्मो से अपने इस जग को, तुम दिव्य स्वरूप दिखाओ l तुम झुको सही,पर रुको नही, यह अद्भुत दृश्य दिखाओ, मर्यादा में रहकर भी तुम नित विजय ध्वज लहराओ l संस्कारों से कुल को अपने तुम प्रेम पूर्ण कर जाओ, सभी भूमिकाओ में तुम अपनी गरिमा को सफल बनाओ l कर्तव्य निभाकर तुम अपना निस्वार्थ चरित दिखलाओ, सेवा कर वृद्धजनो की तुम मातृत्व छवि दिखलाओ l कोमल से हृदय पर तुम अपने पहरा इस तरह लगाओ, जो घात करे उसे कर दो क्षमा तुम सीख नई सिखलाओ l अपने पावन मन से तुम उस अंत: करण से जुड़ जाओ, जो संचालक है इस जग का, उसे अपना न्याय बनाओ l सपनो की करके मुक्त बेड़ियाँ, बन विहग प्लवन कर जाओ, अपनो का सहारा बन कर तुम एक नया इतिहास रचाओ l तुम बनकर सीता आत्म सम्मान के दीप प्रदीप्त जलाओ, निसंदेह बनो राधा पर मन में कृष्ण भक्ति को जगाओ l ईश्वर से निश्छल कोई नही, माँ बाप से कर्मठ कोई नही, करो जीवन समर्पित तुम अपना, सत्कार में मन तर जाओ l हे नारी तुम कलयुग में भी धर्म पग पर चलती जाओ, कर्मो से अपने इस जग को, तुम दिव्य स्वरूप दिखाओ l मेरी कलम से✍️ भाग्यश्री सिंह
मेरा नाम भाग्यश्री है, मैं एक स्नातकोत...