
MAHESH
साहित्य संगीत व कला केवल मनोरंजन का साधन मात्र नहीं है अपितु यह व्यक्तिव परिष्कार व जनजागरण की सबसे महत्वपूर्ण प्रभावी विधाएं हैं! साहित्य संगीत कला विहीन:, साक्षात् नर पशु पुच्छ विषाणहीन:! राजर्षि महाराज भर्तृहरि द्वारा रचित यह श्लोक उक्त संदर्भ में पुख्ता प्रमाण है! अस्तु मेरा भी कुछ ऐसा ही प्रयास है, उम्मीद है आप मेरी रचनाओं का आनंद लेंगे और विश्वास है कि साहित्य लाइव के मंच पर मेरी रचनाओं का यथार्थ मूल्यांकन हो सकेगा! सादर प्रणाम!🙏 ~✍️ महेश
Vill.-Mitauli-Khiddirpur, Post-Benipur-Chaurebazar, Thana & Tehseel-Bikapur District-Ayodhya Faizabad Pincode-224209 Utter Pradesh, India
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हो रहा यह कैसा विकास......?
स्वरचित रचना--- हो र
लगा दे आग जो पानी में...!
स्वरचित रचना--- लगा
हथवा त्रिशूल डमरू नंदी पे सवार...!
भगवान भोलेनाथ के श
छछन्दी औरत/ चतुर नार चालीसा
स्वरचित रचना---छछन्
ए हिन्दुस्तान है जहां न्याय टिका सबूतों पर....!
स्वरचित रचना- ए हिन
गोरिया अइंठा न बदनिया ससुरे जाइ का परी
स्वरचित रचना--- गोलि
यह देश सुधरने वाला है...!
स्वरचित रचना- यह दे
दिल अपना हिन्दुस्तानी है..!
स्वरचित रचना- दिल अ
क्यूं जले पर छिड़कते नमक हो प्रिये...!
स्वरचित रचना--- क्यू
वह तो मजदूर है वह तो.........!
स्वरचित रचना--- वह त
जिंदगी न सही तू मौत ही बनकर आजा
स्वरचित रचना---जिंद
हास्य-व्यंग्य (समसामयिक)
स्वरचित रचना---काव क
इश्क
स्वरचित रचना- ऐ इश्
सितारों की दुनिया से चल करके कोई..!
स्वरचित रचना--- सित
प्यार किया है तो...!
स्वरचित रचना--- प्या
नारीशक्ति वंदना
स्वरचित रचना- हे ना
किसी से कोई प्यार न करे
स्वरचित रचना--- किसी
अजनबी प्यार
स्वरचित रचना- कुछ म
दोस्ती
स्वरचित रचना--- दूर
प्रेम
स्वरचित रचना- कहा र
आओ सुनाएं तुमको रामकथा बड़ा प्यारा...!
स्वरचित रचना---आओ सु
ज़ुबां खामोश कहती है!
स्वरचित रचना---जुबा
एक दर्द होता तो सह लेते हम..!
स्वरचित रचना--- एक द