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Recent Articles
जीवन कुदरत का उपहार....
सारी संभावनाएं- मन
कोरा जीवन
जन्म से कोरा मानव,
संपूर्ण ब्रह्मांड का स्रोत....
निज स्वरूप- में स्प
आंतरिक दुनिया और जगत....
संपूर्ण दृश्य जगत,
संपूर्ण ब्रह्मांड का स्रोत....
स्वरूप- में स्पर्श
ये दुनिया है दूसरी....
ये दुनिया है दूसरी-
ये साहिल मिला है मुद्दत से....
ये साहिल मिला है मु
प्रेम हृदय की उपासना
प्रेम हृदय की- उपास
पनाह खोज रहा हूं....
पनाह खोज रहा हूं! र
"ईश प्रेम"
हिय प्रवाहित ईश प्
अमृत का गागर
पांच तत्व बना गागर,
कोरा जीवन
जन्म से कोरा मानव,
जिंदगी ईश्वर-कृपा-अनुग्रह
अनमोल रतन शरीर एक-स
तू है धरा पंचभूत अविरल
तू है धरा पंचभूत अव
पल पल गुज़र रहे हैं....
वो दिन गुज़र गए- चल
समय लाएगा....
समय लाएगा- आपके लिए
जीवन का मंजिल
लाखों जन्मों का सफ
आपके नज़र किया है....
आपके नज़र किया है!
"तारणहार"
कण-कण में बसता, जग म
दुआ है - हे पीहर की तू है राजदुलारी....
दुआ है- हे पीहर की त
इनायत है तुम्हारा ही ए-नाम....
अरमां में सज गई अब,
प्रेरणा स्रोत....
स्वस्थ मस्तिष्क मे
स्वांस जीवन का आशीर्वाद
क्या करिश्मा यह कु
संबंध....
संबंध! मन का संबंध
सितारों का आशियाना....
चांदनी रात में- सि
इतने अनमोल हैं आप....
इतने अनमोल हैं आप!
आपके अंदर है बीज....
यह संसार एक पेड़ है-
हर तूफान में सहारा तेरा ही नाम....
तेरा ही नाम का - हे र
ये है हिंदुस्तान की सभ्यता....
जाग जाती है- करुणा
हम दीवानें..!
हमारा ना जात न पात,
चंचल मन उप वन में ठहरी....
चंचल मन चित वन में क
मुझे किनारा मिल गया है....
या खुदा तुम्हारा श
श्रेष्ठतम मानवीय गुण....
श्रेष्ठतम मानवीय ग
मन तू और तेरा गति क्या....
पलक झपकते- क्या सवा
"पवित्र प्रेम"
जेहन में समाया है,
प्रेम की मह़क जो आई है....
दो दिलों में बहते-
मैं स्वयं का बैरी....
यह जग-जाना - सब है एक
दीदार ए-नूर....
मैं हूं तेरे दर का द
सपनों की लाली....
सपनों की लाली ! आंख
नैया नाम की....
स्वयं का ज्ञान सर्
कण कण में है वह लाल....
आत्मज्ञान सर्वोपर
क्या खूब ये जिंदगी झलक रही है....
क्या खूब ये- जिंदग
"हुजूर का दरगाह"
ढूंढता प्यासा निगा
याद में गुज़र रहे हैं....
ये याद में- रह के गु
आशा का सूरज....
चाहे कितना भी अंधे
जीवन में प्रकाश-सुख-ज्ञान और शांति
जीवन में प्रकाश-सु
"प्रेरणा"
असफल होना बड़ी बात
जन्नत ही है खास
अज्ञान पर्दा है ज्
पीयू-पीयू बोले दिल ये पपीहा....
पीयू-पीयू बोले दिल
वेलकम 2022
2022 ना कोई गिला है, न
जीवन कुदरत का उपहार....
सारी संभावनाएं- मन
प्रेरक संदेश
कण- कण में हर जगह है,
जीवन में शांति आ जाए अगर ?
जीवन में- शांति आ ज
सफर है ये श्वासों का....
सफर है ये श्वासों क
मैं हूं समय
मैं हूं समय प्रकृत
मानव प्रबल चेतना युक्त विवेकी....
पूर्ण विवेक वान मा
"सत-चित-आनंद"
मनुष्य हूं-क्योंकि
मैं सैलानी आया इस देश....
मैं सैलानी आया इस द
सचेतन को वक्त है अनमोल....
सचेतन को वक्त है अन
"कलियुग में रिश्ते"
ये नज़दीकियां सब ख
सूरजमुखी और सूरज का प्रेम....
करिश्मा यह कुदरत क
ओस के ये मोती तपती किरण में उड़ रही है....
ओस के ये मोती- तपती
हे मानव तुम हो महान....
विश्व की सबसे- बड़ी
प्रकाश के क़रीब जा रहा हूं....
प्रकाश के क़रीब जा
हमसफर की तलाश....
पर्दे में वो सपनों
अंतःकरण की गहराई में कोई तो रहता है ?....
अंतःकरण की गहराई म
चले-चल हे मुसाफ़िर....
चले-चल हे मुसाफ़िर-
प्रीतम का संग
मैं थी पुजारी-प्री
बसंती बयार में फागुन के राग !
राहगीर मैं आया हूं,
मां तुझे नमन....
मुर्गे की बांक पर-
प्रस्फुटित है हर क्षण
यहां पर हूं मैं जीव
निरंतर अग्रसर व्यक्ति कौन ?
वह व्यक्ति जिसने- अ
प्रेम भरा आमंत्रण जो है....
रचना है तू मन की- एक
अमृतधारा हर कुंभ में
मन की- तृष्णा तड़पत
छूना है आकाश
इस दुनिया की हैं सी
उसे खुदा का है पता
जो खुद में नहीं है,
"संत कौन"
अपने अंतःकरण स्थित
तेरे नाम का....
तेरे नाम का! ग़ज़ल
चलते चलते
चलते-चलते- गुज़र गए
"प्रेम ही पूजा"
युगे-युगांतर में प
आए हैं हम गुजरते हुए....
आए हैं हम- गुजरते ह
ये दिलनशीं....
कभी खयालों में आते
आशा का श्रोत....
आशा का श्रोत! आशा श
गा रहा हूं तेरा ही ये तराना....
गा रहा हूं तेरा ही य
दे दो मुझे तुम प्रेम अपना....
आए हैं हम- सपनों की
दिलरुबा का जब दीदार
दिलरूबा का जब दीदा
कहीं टूट ना जाए
गुजरे हुए पहरों की
दुखती रगों को किसने पुकारा....
भूली बिसरी- इन यादो
अपार संभावनाएं....
अपार संभावनाएं! अ
"प्रकृति मनोरम"
अद्भुत प्रकृति मनो
उत्सव का है वक्त
ख्याल में बसा हर वक
ये मेहरबानियां किसकी....
मेरे दिल में कोई रह
इस जहां के हम मुसाफ़िर रुकेंगे कहां....
इस जहां के- हम हैं ए
सांसों में है बसर
हम हैं दीवाने खास,
आपके अंदर की करुणा....
आपको - परमात्मा की
अथाह प्रेम की महक....
अथाह प्रेम की महक....
मनुष्य की....
मनुष्य की- तृप्ति,आ
मांँ धरा है जन्नत
उत्सव है यहां हर दि
प्रेम का गुण ही सुगंध
प्रेम का गुण ही सुग
"सलाम है मेरा"
सलाम है- कायनाते कम
रूहानी सफर...
रूहानी सफर! वो देख
खिताबे विश्व गुरु अब
अंतर्यामी तुम हो प
"शूरवीर"
अपने पर जीत हासिल,
जीवन सार
सुर कृपा से सब जग-जन
अनंत जीवन
सपनें सजाता हूं इस
"राग दीपक"
अलंकृत कर रिद्धि-स
सखी रे कोयलिया गाती तो होगी....
सखी रे चल रे चल ! को
चालू हे सखी होरी में....
चालू हे सखी होरी मे
असली चमार....
असली चमार ! सोचा आप
मानव है हर जीव में श्रेष्ठ....
मानव है हर जीव में श
हमारी श्रद्धा ही अक्षय की पूजा है....
हमारी श्रद्धा ही अ
ये जीवन की नैया भवसागर में....
ये जीवन की- नैया भव
महक जाते जीवन के ऐ-चमन....
अंकुरते हैं- प्रेम
आसरा है बस तेरे ही नाम का- हे राम....
आसरा है- बस तेरे ही
हंस बोले हिर्दय के अंदर....
हंस बोले हिर्दय के
अपने ही वजूद में....
अपने ही वजूद में- श
रूबरू हो गए अब जलवा ए-नूर....
खुल गए हैं अब वो हर
फरिश्ता है हर वो दिल
फरिश्ता है हर वो दि
मोरे गांव में ये आया कि कौन परदेसी....
चह़क रहीं हैं- प्या
"जीव और सद् गुरु की कहानी"
बात है- अगम की कहूं
कैसे करूं अब हर फर्ज मैं तेरे सिवा....
सबके रहते लगता है ऐ
ज़िंदगी के सफ़र में आओ चलें हम....
ज़िंदगी के- सफ़र मे
आ चलेंगे जहां प्रेम पले....
आ चलेंगे जहां- धरती
तेरी हर निशानियां....
तेरी हर निशानियां-
"स्वांस के झूले में-हंस"
मन के हैं चार तरंग,
"अनुभव"
अद्भुत सब प्रकृति
पावन नाम....
पावन नाम! तेरे नाम
"अंत में ही अनंत"
कृपा अनंत का यह तन,
गुम हो गए हम
गुम हो गए हम, सफर-ए-
कभी चलते नहीं देखा....
कभी चलते नहीं देखा!
उड़ रहे हैं ये मन पंछी....
उड़ रहे हैं ये मन पं
हमसफर की तलाश....
हमसफर की तलाश.... पर
मानव तन के दो रूप
मानव तन के दो रूप, प
परम दिव्य रूप
प्रभु का करते ध्या
आवारा दिल चलता हवा के साथ गुनगुनाता....
( प्रथम अंतरा ) आवार
प्रेरणा....
ये खूबसूरत पल के लि
विश्वास....
विश्वास! मन का संब
उपदेश बिनु उपवास कहां मोरे मन....
उपदेश बिनु- उपवास क
तुम्हारे प्यार में हम-दम....
तुम्हारे प्यार में
काया है दिव्य देश
पहन चोला नाशवान, यह
जीवन ज्योति....
मतकर माया को अहंका
अजी हम भी कवि हैं...
अजी हम भी कवि हैं !
तमन्ना है इधर भी
तमन्ना है इधर भी, इ
दुआ है - हे पीहर की तू है राजदुलारी....
दुआ है- हे पीहर की त
तेरा अनुराग...
तेरा अनुराग.... हे अ
" हंस और मोती की अजब कहानी "
हे वसुंधरा रानी, मा
हे मानव के राज़हंस....
हे मानव के राज़हंस-
जीवन में मुस्कुराहट....
सच्चाई की ही परीक्
पूर्ण विजेता....
लक्ष्य के प्रति, दृ
आशा की किरण-2023
आया नव वर्ष- 2023. लाय
ये दरिया कल-कल बहती....
ये दरिया कल-कल बहती!
ऋतुराज जो आए हैं बारह मास के बाद....
ऋतुराज- जो आए हैं, ब
जिसको तुम खिलाते हो....
कहानी- एक काफिला इस
तेरे नाम की महिमा अपरंपार....
तेरे नाम की महिमा-
महक गया ये चमन तेरे आने से....
महक गया- ये चमन तेर
संसार है एक मंजर
संसार है एक मंजर, द
"फ़ना हुआ जीवन"
दिले तमन्ना थी! महक
एक अकेला मेरे सपनों में आता है....
एक अकेला- मेरे सपनो
तत्व ज्ञान के बिना शून्य....
संपूर्ण जीवन की- स
शाश्वत शांति या परमानंद की प्राप्ति....
जिंदगी ईश्वर की कर
उसने सब कुछ जीत लिया....
जिसने- अपने अंतःकर
आपके अंदर उजाला है....
आपके अंदर उजाला है!
अब तेरे दरगाह की खुशबू आ रही है....
खिदमत में अर्ज है-
मर्यादा....
मर्यादा से- इंसान ब
सुख-दु:ख हैं साथी
राजा-रंक क्या फकीर,
उड़ रही है हवा में तेरी यह मदमाती खुशबू....
उड़ रही है- हवा में
इस फागुन में अपने गांव....
आए हैं हम- इस फागुन
दिव्य प्रकाश से भरा यह जीवन....
दिव्य प्रकाश से भर
शांति गीत
हे अतुल-अनुपम सांस